बुधवार, 5 अप्रैल 2023

LEAKING BUCKET

A Leaking Bucket
 You wake up early morning trying to do your Pooja / Prayers /Yoga but your mind is elsewhere and before you know it, you are done with it, without being mindful of it. (A leaking bucket)
You are very kind to outsiders / people in general and speak with them gently, but with your own family, you are always harsh / rude. (A leaking bucket)
You honor and treat your guests well but when they leave, you gossip about them and talk about their flaws. (A leaking bucket)
 You try to read as much religious books, listen to Satsang /Keertan, participate in social services/ Sewa but you swear, insult, curse daily. (A leaking bucket)
 You help others but you are doing it to gain something in return from them and not doing those acts of kindness selflessly. (A leaking bucket)
 You frequently advice/preach others, but practice none yourself. (A leaking bucket).

 You slander other devout persons out of hatred/spite when your views do not meet one another. (A leaking bucket)
 You look down on others and feel more superior to them, judging their level of knowledge, based on external appearances (A leaking bucket) 
 We struggle to fill our "lives"(the bucket) with "earnings" of religion and knowledge (the water), hoping it will retain inside but it is leaked by the many flaws (the holes) that we commit daily.


Vijay kumar arora 
83779 44809 
New Delhi 

शुक्रवार, 20 नवंबर 2009

जिंदगी का प्लान बदलो

आज शाम को यमुना पर से द्वारका वापिस आते हुए एक एड का बोर्ड देखा जिंदगी का प्लान बदलो एम् टी एस .
एक पैसा प्रति मिनट फॉर लाईफ...........

पड़ते ही मैं तो हैरान रह गया एक पैसा प्रति मिनट
इस तरह एक दिन का हुआ ८६४/- रुपया
सोचा अगर भगवन की तरफ़ से ऐसे ही प्लान बदलने का नोटिस आ जाए तो क्या होगा
अच्छे अच्छे की हवा ख़राब हो जाएगी
और अगर प्रीपेड हुआ तो हालात और भी ख़राब ,
बापू कहेगा बेटा मेरा रीचार्ज ख़तम हो रहा है कुछ कर
बेटा कहेगा , बापू तुझे अपनी पड़ी है , अगर मैंने अपना रिचार्ज नही करवाया तो कल नोकरी पर कैसे जाऊँगा
और तेरी बहु का नहीं हुआ तो सुबह चाय कोन बना कर देवेगा
बापू तू चिंता मत कर , अगर तेरा रिचार्ज अगर ख़तम हो भी गया तो क्या फरक पड़ेगा
अब तेरे भरोसे कोन सी सरकार रुक रही है
जमीं जायदाद तुने कोई बनाई ही नहीं , तो रिचार्ग की चिंता कहे करता है ।
और अगर भगवान ने नोटिस दिया की रिचार्ज के लिए रोज मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे चर्च जाना पड़ेगा
तो धरम के ठेकेदारों की तो चांदी हो जाएगी
मुकेश अम्बानी तो एक ही बार में दर्शन कर के जल्दी से रिचार्ज करवा लेगा
पर आम आदमी तो लाईनों में ही लगा रह जावेगा
शाम को कहीं नंबर आया तो रिचार्ज हो गया नहीं तो बेचारे की साँस लटकती रह जावेगी गहर जा कर कहेगा ---
हे भाग वान आज रीचार्ज नहीं हो पाया ,वो लाइन में आगे दो तीन सौ नेता , तथा १५०-२०० उद्योगपति वी आई पी कोटे से लग गए हमारा नंबर कहाँ आता है ,
पता नहीं सुबह तक बेलेंस जीरो ही ना हो जावे
.....................

बेचारा आम आदमी ..............क्या करेगा यदि ऐसा हो गया तो

आप भी सोचो

सोमवार, 16 नवंबर 2009

मतलब निकल जाने के बाद


विजय अरोरा
कौन याद रखता है श्याह वक़्त के मदद गारों को
सुबह होते ही सब से पहले दिए को बुझाया जाता है

शुक्रवार, 13 नवंबर 2009

भाजपा का दिल्ली बंद महंगाई के ख़िलाफ़

कल दिल्ली में भाजपा ने बंद का आव्हान किया था । देखा की जगह जगह दुकाने जबर दस्ती बंद करवाई जा रही थी।
रात को न्यूज़ में देखा की भाजपा के नेताओं ने कपड़े उतार कर पर्दर्शन किया
क्या बात है जी अगरकपड़े उतार कर पर दर्शन करने से महंगाई कम होती है तो मेरा इन नेताओं को सुझाव है की , वे लोग कपड़े परमा नेन्ट तोर पर ही त्याग देने चाहियें ।
इस से महंगाई भी कम हो जावेगी तथा उन के घर [ वैसे उन्हें महल कहा जावे तो ज्यादा अच्छा होगा ] में काम वाली बाईयों को भी काम कम करना पड़ेगा
शोर तो ये बस किराये में कमी में लिए करते है , पर क्या कभी ये बसों में चढ़े भी है ।
पानी तक तो ये मिनरल वाटर पीते है १५ रूपये लीटर वाला .
इनको क्या फर्क पड़ता है महंगाई से , सब वोट बैंक बनाने का ड्रामा है
मकसद तो जनता को बेवकूफ बनाना है
दिन में नारे लगायेंगे , शाम को इंग्लिश पी कर सो जायेंगे
जनता गई तेल लेने
वो भी मिलेगा या नहीं मालूम नही , क्योंकि सारा तो इन नेताओं की गाड़ियों में डल चुका है
जनता तो बस में ही बेबस हो कर घूमेगी या कहिये धक्के खाए गी
वोट देने तो इन को ही आएगी , और कोई है नही कहाँ जायेगी

मंगलवार, 10 नवंबर 2009

राज की गुंडा गर्दी नही रोकी गई तो परिणाम भारी होंगे

महाराष्ट्र विधानसभा में सोमवार को जो कुछ हुआ, उससे लोकतंत्र शर्मसार हो गया। एक विधायक ने हिंदी में शपथ लेना शुरू ही किया था कि तथाकथित मराठी मर्यादा के पहरुए उस पर टूट पड़े। माइक छीन लिया और उन्हें थप्पड़ जड़ दिए। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के विधायकों की हरकत के प्रत्यक्ष शिकार बने समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी, पर वह थप्पड़ सीधा विधानसभा की मर्यादा के गाल पर लगा और छोड़ गया हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर एक प्रश्नचिह्न्।
प्रथम दृष्टया यह ‘महाराष्ट्र में रहना है तो मराठी बोलनी होगी’ आंदोलन का हिंसक रूप दिखता है। जिन्होंने अंग्रेजी में शपथ ली उनका कोई विरोध नहीं हुआ, तो क्या यह हिंदी-विरोध का मामला था? दिखता भले ऐसा हो, पर इसकी जड़ में लोकतंत्र की वे कुरीतियां हैं जिन्हें हमने लोकतंत्र के नाम पर ही पनपने का मौका दिया। घाव को नासूर बना दिया क्योंकि इलाज से कतराते रहे।
राज ठाकरे के गुर्गे जब रेलवे स्टेशनों पर बिहारी छात्रों की पिटाई कर रहे थे, तब सरकारें हाथ पर हाथ धरे बैठी रहीं। मनसे के गुंडे जब जबरदस्ती दुकानों के साइनबोर्ड तोड़ते रहे, तब कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस गठबंधन की सरकार चुप रही क्योंकि मनसे की मजबूती में उन्हें शिव सेना की कमजोरी दिखी।
राज के गुंडाराज में जब हिंदीभाषी टैक्सी वालों पर अत्याचार हुआ तब भी शरद पवार जैसे राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक ने मुंह नहीं खोला क्योंकि उनका राजनीतिक स्वार्थ राज की मजबूती में था। शिव सेना कमजोर हुई और राज मजबूत भी हुए। इस विधानसभा में उनके बारह विधायक हैं। फिर क्या था सबने उन्हें उभरती राजनीतिक शक्ति करार दे दिया, पर यह शक्ति शिव सेना से भी ज्यादा आक्रामक और विघटनकारी है।
ऐसी शक्तियों के दुष्परिणामों से इतिहास भरा पड़ा है, पर इतिहास से नहीं सीखने की भूल हमारी आदत में शामिल है। अकाली दल को पछाड़ने की जुगत में कांग्रेस ने पंजाब में भिंडरांवाले को खड़ा किया था, अकाली कमजोर हुए पर भिंडरांवाले इतने मजबूत हो गए थे कि उनके खत्म होने के बाद भी हजारों जानें गईं।
राज की मनसे खालिस्तानियों की तरह बंदूक से बातें नहीं करती, पर डंडों और थप्पड़ों से ही सही, बातें वही करती है। अपनी पहचान के नाम पर भारत के संविधान को चुनौती देने वाली बातें। सवाल अबू आजमी के गाल का नहीं है, संविधान की मर्यादा का है। वक्त आ गया है जब बाहुबल को राजनीतिक संवाद में स्थान देने से इनकार किया जाए

शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

किरण बेदी को देश का मुख्य सूचना आयुक्त बनाने की मुहिम

निष्पक्ष और निडर पुलिस अधिकारी के तौर पर ख्यात रहीं किरण बेदी को देश का मुख्य सूचना आयुक्त बनाने की मुहिम को और बल मिल गया है। बेदी ने अब खुद सामने आ कर कहा है कि उन्हें यह पद मंजूर करने से कोई एतराज नहीं।..........................
किरण बेदी से अच्छी सख्सियत नही हो सकती भारत में इस पद को सम्हालने के लिए ।
अगर सरकार को अपनी पुराणी गलतियाँ सुधारनी है तथा सच की थोडी सी भी शर्म है तो तुंरत किरण बेदी को इस पद पर नियुक्त कर दे।
पर इस की उम्मीद कम ही दिखायी पड़ती है , क्योंकि सच की तो कोई कदर ही नहीं है सरकार के घर ।
जो कांग्रेस बेशर्मी से कौडा जैसे नेता को समर्थन देती रही वो सच और ईमान दारी तो चाहती ही नही

गुरुवार, 5 नवंबर 2009

निचली अदालतों को भी पारदर्शी बनाएं

निचली अदालतों को भी पारदर्शी बनाएं
.....विचार.........नव भारत टाईम्स ...NOV 05,२००९
हर कोईवाकिफ है किकुछ अपवादोंको छोड़कर सभीनिचलीअदालतों मेंपेशकार(हाजिरी कीपुकार लगानेवालेअर्दलियों) कोतारीख' कीपेशगीनिश्चित रूपसे देनी होती है। कभीचवन्नी-अठन्नी(25 पैसे-50 पैसे) सेशुरू हुईपेशकारसाहबों की यहमांग मुद्रास्फीतिके चढ़तेग्राफ को पकड़कर 20-50 रुपये तकजा पहुंची है।जो निचलीअदालतों मेंआते-जाते हैं,वे जानते हैंकि तारीखों कीइस वसूली काबंटवारा अदालत के पूरेस्टाफ के बीचहोता है। ऐसेमें, सवाल यहउठता है किन्याय की देवीके मंदिर मेंऔर जज साहब कीआंखों केसामने जब यह सबखुलेआम होताहै, तब कैसेमान लिया जाएकि वे खुद भीउस बंटवारेमें भागीदारनहीं होते होंगे?........................................................
बिल्कुल सही कहा ,की जनता को निचली अदालतों में ही ज्यादा वास्ता पढ़ता है ,
इस लिए निचली अदालतों के जजों की संपत्ति घोषणा को जरुरी बनाया जाना चाहिए ।
मेरा तो यह कहना है की इनके साथ साथ सभी वकीलों को ,तथा सभी चार्टेड एकाऊँटेंट को भी अपनी संपत्ति की घोषणा करना जरुरी किया जाना चाहिए ।क्योंकि ये भी जनता को बहुत ज्यादा लूट ते हैं। तथा बिचोलिये का काम भी करते है । करोडो की जायदाद बना लेते हैं । तथा टेक्स ना के बराबर देते है
अन्यथा उनको वकालत की अनुमति नहीं होनी चाहिए अदालतों में मुकदमों की भीढ़ इनकी वजह से ही इकट्ठी होती है । कहीं भी समझोता नहीं होने देते । काले कोट वालों के कारनामे भी काले हैं ।

> VIJAY ARORA DWARKA DELHI